लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (12)
रश्मि घर आई ही थी कि, उसकी मम्मी बोली... थोड़ी देर का बोल कर वही जम गई थी क्या.......। मन्दिर का नाम लेकर ना जाने कहां मुंह मारने चली जाती है। अपने उन आवारा दोस्तों के साथ रह रह कर तु हमारे दिए हुए संस्कार भी भुल गई हैं.....।
रश्मि बिना कुछ बोले अपने कमरे में आ गई.....। वो बैड पर बैठ कर कुछ सोच ही रही थी कि उसके पापा ने आवाज लगाकर उसे बाहर भुलाया......।
रश्मि बाहर आई तो उसके पापा ने उसके हाथ में एक पेपर देतें हुए कहा...:- इसमें मोहन के बेटे रिषभ का मोबाइल नम्बर है, मैंने अभी मोहन से बात की है। दिल्ली स्टेशन पर उतरते ही इस नम्बर पर फोन कर देना। रिषभ आकर तुमको घर ले जाएगा। उनका घर पास ही है स्टेशन से......।
किशन ने अपने मोबाइल से रिषभ की फोटो रश्मि के मोबाइल पर सैंड करते हुए कहा... तेरे मोबाइल में रिषभ की फोटो भी भेज दी है, कोई गड़बड़ मत करना। अभी जाकर अपने माँ के बैग में डाक्टर की फाईलें और सभी दवाईयों की रिसिप्ट भी डाल दे।
रश्मि पेपर हाथ में लेते हुए.. :- जी पापा.....मैं ये नम्बर अपने मोबाइल में सेव कर लेती हुं।
ऐसा कहकर वो अपनी माँ की बाकी रही हुई पैकिंग करने लगी।
थोड़ी देर बाद वो किचन में गई ओर अपने पापा के लिए रात का खाना बनाने लगी फिर सब कुछ अच्छे से साफ करके बाहर आई ओर एक खाने डिब्बा लेते हुए बोली..:- पापा आपके लिए रात का खाना बना दिया है, कल से अलका के पापा आकर दे जाएंगे मैंने उनसे बात कर ली है। मम्मी के लिए भी सफर के लिए खाना ले लिया है (अपने हाथ का डिब्बा दिखाते हुए बोली)। अभी मैं रिक्शा स्टेंड से रिक्शा लेकर आती हुं।
रश्मि बाकी सामान के साथ खाने का डिब्बा रखकर रिक्शा स्टेंड चली गई।
बाहर आते ही उसने अलका को फोन किया।
अलका- हां रश्मि।
तु तैयार हैं ना......?
हां। तु कहां है अभी.....?
मैं रिक्शा लेने जा रही हूँ.....।
तु भी तैयार रह ओर हमारे जाते ही आ जाना।
मैं रिक्शा में बैठते ही तुझे मिसकॉल कर दुंगी।
तु टेंशन मत ले। मैं राहुल के साथ उसकी बाईक पर तुझसे पहले पहुंच जाउंगी।
ठीक हैं......रखती हूँ....। बाय....।
रश्मि रिक्शा स्टेंड पहुंची ओर किराये का मोलभाव कराते हुए एक रिक्शा फाइनल की ओर उसमें बैठ कर घर तक आई।
रिक्शा के आते ही उसने पहले अपनी मम्मी को बैठाया फिर सामान रखकर, अपने पापा के पास गई जो दरवाजे पर ही खड़े थे.....। रश्मि ने उनके पांव छुकर कहां...:- चलती हुं पापा....। आप अपना ध्यान रखना ओर फोन करते रहना....। अपनी दवाईयां टाइम पर लेते रहना, मम्मी की बिल्कुल टेंशन मत करना।
उसके पापा ने कुछ भी जवाब नहीं दिया।
वो कुछ देर उनको देखती रही।
तभी उसकी माँ ने आवाज दी... अभी चलेगी या वही दफन होना है।
रश्मि की आंखों में आंसू भर आए पर वो उन्हें छुपाते हुए अपने पापा के गले लगी फिर रिक्शा में आ गई।
रिक्शा में बैठते ही.. :- चलिए भईया जी।
रिक्शा चली ही थीं कि रश्मि ने अलका को भी चुपके से मिसकॉल कर दिया।
करीब 25 मिनट बाद वो स्टेशन पहुंचे।
स्टेशन के भीतर आते ही रश्मि की घबराहट बढ़ने लगी। वो अंदर जाते हुए इधर उधर अलका को ढूंढ रही थी।
उसके चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी। वो पसीने से तर- बतर हो गई थी। वो सामान उठाकर चल रही थी पर उसकी निगाहें अलका को ढूंढ रही थी।
तभी उसके फोन पर एक SMS आया।
उसने सामान रखकर मैसेज देखा।
अलका का मैसेज था।
मैं तेरे पीछे ही हूँ.....तु घबरा मत...। मैंने अपना चेहरा ढंका हुआ है दुप्पटे से रश्मि ने इतना पढ़तें ही पलट कर देखा तो अलका ने अपना हाथ हिला कर ईशारा किया। रश्मि की जान में जान आई। उसने मैसेज आगे पढ़ा जिसमें लिखा था....हमे प्लेटफार्म नम्बर पांच पर जाना है तु आंटी को लेकर धीरे धीरे सिढि़यो से जा.....।
रश्मि ने मैसेज पढ़कर मोबाइल अपने हैंड बैग में रखा ओर अपनी मम्मी का हाथ पकड़ते हुए, सामान लेते हुए,प्लेटफार्म पांच पर जाने लगी।
प्लेटफार्म पर पहुंचते ही उसने मुड़ कर देखा तो अलका भी आ रही थी।
रश्मि ने अपनी मम्मी को वहां बनी बैंच पर बिठाया ओर पुछा :- मम्मी आप पानी पियेंगी।
उन्होंने हां में सर हिलाया तो रश्मि ने बैग में रखी पानी की बोतल निकाली ओर उनको दी।
उनके पीने के बाद रश्मि ने भी पानी पिया।
रश्मि पास ही बने पेयजल से अपनी बोतल फिर से भर आई ओर अपनी मम्मी के पास ही बैंच पर बैठ कर ट्रेन का इंतजार करने लगी। अलका भी उनके सामने वाली बैंच पर बैठ कर अपना फोन चला रही थी। उसने अपना मुंह अभी भी ढककर रखा था।
सब वहां बैठे ट्रेन के आने का इंतजार कर रहे थे। कि थोड़ी देर में ट्रेन आकर रुकी, ज्यादा भीड़ ना होने कि वजह से सभीको चढ़ने में कोई तकलीफ नही हुई।
......................................................................................
एस- सेवन में सीट नम्बर इक्कीस और बाइस।
सीट देखतें ही मैं परेशान हो गई क्योंकि एक मिडिल सीट थी और एक अपर......।
मम्मी कैसे चढ़ पाएंगी, ये सोच कर ही मैं परेशान हो रही थी।
इतने में मम्मी ने चिल्लाना शुरू कर दिया... :- यही खड़े रखना है , या सीट पर बैठने भी देगी, चल हट बीच में से ओर सामान रख। जब देखो अपनी ही धुन मे लगी रहती है, पता नहीं मैं भी क्यूँ इस मनहूस के साथ आ गई।
मम्मी के इस तरह बात करने से आस पास बैठे सभी लोग बड़ी ही अजीब नजरों से मुझे देखने लगे।
मैं पीछे हटी ओर मम्मी को बिठाया।
अपने बैग्स सीट के नीचे रख दिए।
इतनी ही देर में एक बीस इक्कीस साल का एक लड़का आया और बोला.. :- मैडम ये सीट मेरी है। सीट नम्बर बीस।
मैंने उसे कहा.. सर प्लीज क्या आप हमारी सीट ले सकते हैं......। मम्मी ना ही मिडिल सीट पर चढ़ पाएंगी, ना उपर वाली पर.....।
थोड़ी देर सोच कर उसने बोला ठीक है मैं मिडिल सीट ले लेता हूं।
मैंने उनकाे थैंक्स बोला.....ओर मम्मी के पास आकर बैठ गई। थोड़ी देर में ट्रेन चल पड़ी।
तभी अलका का मेसेज आया.. :- ठीक से बैठ गई ना, कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना।
हां बैठ गई.....। तु ठीक है.....?
हां मैं ठीक हूँ......। मेरी टेंशन मत कर.....।
खाना खाकर थोड़ी देर आराम कर लेना।
तु पीछे के बर्थ में ही हैं ना...तेरा सीट नम्बर क्या है.....? मैं किसी बहाने से आकर तुझे खाना देकर जाती हूँ.....।
मैं खाना लेकर आई हूँ....., तु चिंता मत कर। बस अपना ध्यान रख......। आंटी को संभाल.....।रात को कुछ भी काम पड़े तो मुझे फोन या मैसेज कर देना.....। ओके अभी फोन रख....वरना आंटी को शक हो जाएगा.....। बाय।
रश्मि ने भी ओके.....बाय लिखकर फोन रख दिया।
नौ बजते ही सब लोग खाना खाने लगे......। मैंने भी मम्मी से पुछ कर उनका खाना सर्व किया।
मम्मी ने खाना खाया ओर दवाई लेकर सो गई।
मैं भी खाना खाकर ऊपर अपनी सीट पर चली गई। लेकिन ना जाने क्यूँ एक अजीब सी घबराहट ओर डर लग रहा था।
सोने की बहुत कोशिश की पर नींद मेरी आँखों में थीं ही नहीं।
पुरी रात करवते बदलती रही पर एक पल भी सो नहीं पाई.... ।
कुछ तो होने वाला था.... जिसका अहसास मुझे बहुत समय से हो रहा था....। पर क्या वो मैं समझ नहीं पा रहीं थीं.....।
# कहानीकार प्रतियोगिता......
_______________________________________________
आखिर क्या होने वाला था रश्मि के साथ.....
क्यूँ उसे इतनी बैचेनी हो रहीं थी...!
जानने के लिए बने रहे मेरी इस कहानी के साथ....।
madhura
06-Sep-2023 05:17 PM
Nice
Reply
Gunjan Kamal
27-Jul-2023 10:09 AM
👌
Reply